
बुधवार, 19 अक्तूबर, 2005 को प्रकाशित
बिहार में मौजूदा राजनीतिक विकल्पों से किसी चमत्कार की उम्मीद करना भोलापन होगा. वैसे भी बिहारी जनता अब भोली नहीं रह गई है. अब वे अपनी समस्याओं का समाधान राजनीति से इतर तलाशने में लग गई है. यही बात पूरे राजनीतिक परिवेश के लिए पहेली बनी हुई है. दुनिया को गणतंत्र का उपहार देने वाला बिहारी समाज संभवत: किसी नई व्यवस्था की बुनावट में लगा है. इसीलिए हमें दिल थामकर बिहार और बिहारियों पर नज़र रखनी होगी. शशि सिंह, मुंबई
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