
रविवार, 16 अक्तूबर, 2005 को प्रकाशित
इसमें कोई शक नहीं कि गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को अपने अंदाज में नई ऊँचाई तक पहुँचाया है. लेकिन एक महान खिलाड़ी होने का ये क़तई मतलब नहीं कि बुरे प्रदर्शन के बाद भी वह टीम में बना रहे. अगर गांगुली का खेल दोबारा से अपने सुनहरे दिनों की तरफ लौटता है तो उन्हें फिर से कप्तान के रूप में देखना हर भारतीय की चाहत होगी... लेकिन तब तक चयनकर्ताओं को उन्हें कप्तान तो क्या टीम में भी रखने से पहले चार बार सोचना चाहिए. शशि सिंह, मुम्बई
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