
रविवार, 03 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
वैटिकन में 26 साल तक अपने अनुयायियों के पथप्रदर्शक के रूप में पोप ने ख़ुद को चर्च की चारदीवारी तक सीमित नहीं किया बल्कि अपनी भूमिका को नए आयाम दिए. शायद यही वजह थी कि दूसरे धर्म-संप्रदायों के लोगों के बीच भी वे समान रूप से लोकप्रिय रहे. इस शांतिदूत को मेरा नमन. शशि सिंह, मुम्बई
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