Wednesday, April 27, 2005
आमने-सामने और आप
बुधवार, 27 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
हर समस्या का अपना समाधान खुद उस समस्या में ही निहित होता है. बेशक पिछले कुछ समय में संसद की गरिमा अपने निचले स्तर पर जा पहुंची है, मगर संसद में पहुंची युवा पीढ़ी इस मामले में संवेदनशील मालूम पड़ती है. मुझे भारतीय लोकतंत्र की ताकत और इस उत्साही पीढ़ी के तेज पर पूरा भरोसा है. बस थोड़ा इंतजार कीजिए... शशि सिंह, मुम्बई
Tuesday, April 26, 2005
क्या नेताओं को इस्तीफ़ा देना चाहिए?
मंगलवार, 26 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
किसी भी संस्था या विभाग का प्रमुख होने के नाते हर अच्छी-बुरी बात की नैतिक ज़िम्मेदारी सीधे मंत्री की बनती है. जिस तरह किसी भी छोटे-बड़े काम का श्रेय लेने के लिए मंत्री महोदय उतावले रहते हैं ठीक उसी तरह दुर्घटनाओं या विभागों में भ्रष्टाचार की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं की बनती हैं. लिहाजा मेरा मत इस्तीफे के हक़ में है. शशि सिंह, मुम्बई
Tuesday, April 19, 2005
राजनीति से संन्यास
मंगलवार, 19 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
अगर कॉरपोरेट शब्दावली में बात करें तो उम्रदराज राजनीतिज्ञों को कार्यकारी प्रमुख की जगह परामर्शदाता की भूमिका में आ जाना चाहिए, लेकिन सेवानिवृत्त कतई नहीं होना चाहिए. मैं उस युवा पीढ़ी को सौभाग्यशाली मानता हूं जो इनके अनुभव के मोतियों को अपने उत्साह के धागे में पिरोने में कामयाब हो पाते हैं. शशि सिंह, मुम्बई
Friday, April 15, 2005
क्या हो बदलाव बॉलीवुड में?
शुक्रवार, 15 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
वो कहते हैं न कि 'क्वालिटी इज़ बेटर दैन क्वांटिटी'. हॉलीवुड और बॉलीवुड के साथ भी यही बात है. सिर्फ थोक के भाव में फिल्में बनाना ही बहादुरी नहीं होती, ज़रूरी यह है कि बॉलीवुड जो भी बनाए सोच-समझकर एक रणनीति के तहत बनाये. इसके लिए फिल्म निर्माण के हर मोर्चे पर तैयारी पुख़्ता करके ही निर्माताओं को मैदान में उतरना चाहिए. शशि सिंह, मुम्बई
Monday, April 11, 2005
भारत-चीन की नई शुरुआत?
सोमवार, 11 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
चीन की सफलता से आज पूरी दुनिया चमत्कृत है. उसकी सफलता से चौंधियाया भारत भी अपनी कामयाबी के लिए मंथन में लगा है. मगर भारत को चीनी मॉडल की तरफ झुकने से पहले यह नहीं भूलना चाहिए कि वह चीन है और हम भारत. निरंकुश शासन के नेतृत्व में हासिल की गई उसकी चमक के पीछे एक खोखलापन है जो सोवियत संघ की तरह शासन के साथ कभी भी फीकी पड़ सकती है, मगर भारतीय भदेसपन ही भारत की ताकत है. शशि सिंह, मुम्बई
Wednesday, April 06, 2005
क्या बस सेवा से तनाव घटेगा?
बुधवार, 06 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
श्रीनगर और मुज़फ़्फ़राबाद के बीच बस सेवा को लंबे समय तक जारी रखना आसान तो नहीं होगा मगर नामुमकिन भी नहीं है. दरअसल दोनों देशों की आवाम भले ही रिश्तों में बेहतरी चाहती है मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए इन पड़ोसियों के बीच अमन वजूद पर संकट बन सकता है. मेरी यही दुआ है कि यह बस सिर्फ सड़क की दूरी ही नहीं दिलों की दूरी मिटाने में भी कामयाब हो. शशि सिंह, मुम्बई
Sunday, April 03, 2005
पोप जॉन पॉल के बारे में राय
रविवार, 03 अप्रैल, 2005 को प्रकाशित
वैटिकन में 26 साल तक अपने अनुयायियों के पथप्रदर्शक के रूप में पोप ने ख़ुद को चर्च की चारदीवारी तक सीमित नहीं किया बल्कि अपनी भूमिका को नए आयाम दिए. शायद यही वजह थी कि दूसरे धर्म-संप्रदायों के लोगों के बीच भी वे समान रूप से लोकप्रिय रहे. इस शांतिदूत को मेरा नमन. शशि सिंह, मुम्बई
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