Monday, May 30, 2005
क्या आप भारतीय प्रधानमंत्री से सहमत हैं?
सोमवार, 30 मई, 2005 को प्रकाशित
प्रधानमंत्री का यह बयान सौ फ़ीसदी सही है. कश्मीर के बीच की सीमा को अर्थहीन बनाना ही कश्मीर समस्या का सबसे बेहतर समाधान होगा, क्योंकि तब न रहेगा बांस न बजेगी बांसूरी. मेरी दुआ है कि अगर हम इसी तरह सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हम 1947 की कड़वी यादों को भूलाकर जर्मनी के इतिहास को दोहराएँगे. शशि सिंह, मुम्बई
Wednesday, May 25, 2005
सुनील दत्त से जुड़ी यादें
बुधवार, 25 मई, 2005 को प्रकाशित
जितना सार्थक जीवन दत्त साहब ने जिया उतना कम ही लोगों को नसीब होता है. वे एक उम्दा कलाकार और ईमानदार राजनेता ही नहीं बल्कि इस सबसे बढ़कर एक बेहतरीन इनसान थे. मुझे यह कहते हुए तनिक भी झिझक नहीं कि 75 साल का यह बुजूर्ग हम युवाओं से कहीं ज्यादा युवा था. दत्त साहब हमें आपकी कमी हमेशा खलेगी. शशि सिंह, मुम्बई
Monday, May 16, 2005
क्या मीडिया सही भूमिका निभा रहा है?
सोमवार, 16 मई, 2005 को प्रकाशित
'सबसे तेज़' बनने के चक्कर में अक्सर मीडिया की भद्द पिटती रही है. 'सबसे तेज़' का शार्टकट सनसनी है और यह सनसनी जंक फ़ूड की तरह है जिसे खाकर चटख़ारे तो लिये जा सकते हैं मगर उसकी क़ीमत समाज के बिगड़ते स्वास्थ्य के रूप में चुकानी पड़ती है. 'न्यूज़वीक' की अपुष्ट ख़बर की वजह से 15 लोगों की मौत यही ज़ाहिर करता है कि 'न्यूज़वीक' जैसे मीडिया संगठनों को या तो अपनी ताक़त का अंदाज़ा नहीं है या फिर वे इसके बेजा इस्तेमाल का ही मन बना चुके हैं. शशि सिंह, मुम्बई
हड़ताल का सहारा कितना उचित है?
सोमवार, 16 मई, 2005 को प्रकाशित हड़ताल बेशक एक अनुत्पादक और नकारात्मक प्रतिक्रिया है. यह संस्थान और कर्मचारियों के आपसी हितों के टकराव का सतह पर आ जाने सूचक भी है. इसे अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र का द्वंद्व भी माना जा सकता है. मेरा मानना है कि इस नाजुक मुद्दे पर दोनों पक्षों को लाभ-हानि और अहं के संकुचित दायरे से ऊपर उठकर सोचने की जरुरत है. ऐसा करके ही इस दुनिया को प्रगतिशील और सौहार्दपूर्ण जगह बनाई जा सकती है. शशि सिंह, मुम्बई
Monday, May 09, 2005
बीबीसी हिंदी की पैंसठवीं सालगिरह
सोमवार, 09 मई, 2005 को प्रकाशित ख़बरों की दुनिया में बीबीसी का न तो कभी कोई सानी था न आज है. आज मैं ख़ुद एक पत्रकार हूँ लेकिन बीबीसी का श्रोता और पाठक बने रहने का सुख एक अलग ही अहसास है? हमारे दादाजी के समय शुरू हुआ बीबीसी हिंदी का सफ़र हमारे पोतो-परपोतों और उससे भी आगे की पीढ़ियों तक अनवरत जारी रहे यही मेरी दुआ है. शशि सिंह, मुम्बई
Friday, May 06, 2005
ब्रितानी चुनाव पर प्रतिक्रिया
शुक्रवार, 06 मई, 2005 को प्रकाशित
टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में लेबर पार्टी का एक बार फिर से सत्ता में आना नि:संदेह ब्रिटेन के इतिहास के लिए एक बड़ी घटना है. ब्लेयर को चुनकर अंग्रेजी जनता ने उनकी पीठ तो थपथपाई है, मगर जीत की बढ़त को कम करके इराक पर उनकी नीतियों के लिए हल्के से उनके कान भी मरोड़े हैं. शशि सिंह, मुम्बई
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