
बुधवार, 25 मई, 2005 को प्रकाशित
जितना सार्थक जीवन दत्त साहब ने जिया उतना कम ही लोगों को नसीब होता है. वे एक उम्दा कलाकार और ईमानदार राजनेता ही नहीं बल्कि इस सबसे बढ़कर एक बेहतरीन इनसान थे. मुझे यह कहते हुए तनिक भी झिझक नहीं कि 75 साल का यह बुजूर्ग हम युवाओं से कहीं ज्यादा युवा था. दत्त साहब हमें आपकी कमी हमेशा खलेगी. शशि सिंह, मुम्बई
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