Wednesday, November 30, 2005

भाजपाः एक प्याले में खुशी एक में ग़म

एनडीए नेता
मंगलवार, 29 नवंबर, 2005 को प्रकाशित
यह कहना ग़लत होगा कि भाजपा को बिहार में हुए चुनाव के नतीजों से संजीवनी मिली है. वहाँ जनादेश लालू के खिलाफ और कुछ हद तक नीतीश कुमार की पार्टी को मिला है. लिहाज़ा केद्र की सत्ता हाथ से निकलने के बाद भ्रमित भाजपा की सेहत पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने वाला. भाजपा की सच्चाई बिहार की जीत नहीं, मध्य प्रदेश का कलह है. कांग्रेस पर गांधी परिवार से आगे नहीं सोच पाने का आरोप लगाने वाली भाजपा ने भी अटल-आडवाणी से आगे नहीं सोच पाने की आदत डाल ली है, जो आज भाजपा के भविष्य पर भारी पड़ रहा है. शशि सिंह, मुंबई

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